DATE : 21 / o3 / 2008
तेरी गली में पलकें बिछाए हम फिर आये थे,
तुझसे करने इकरार हम फिर आए थे,
देखा इसबार तेरी डोली जा रही थी,
और तू मुस्कुरा रही थी,
खुशियों को तेर्रे कैसे छेड़ दें हम?
प्यार की बात कर आंसू कैसे दे हम?
तेरी गली से चुपचाप हम फिर निकल आए,
पिघले शीशे सी शहनाई दिल में बसा लाये।
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