Saturday 16 February 2008

तुम हो प्रिय

Date: 12/02/2008

This poetry is dedicated to very feeling called love. I wanted to post this a few days earlier, but its always the day for this feeling :). Happy reading, Lovers (yes! there's a lover in you)

रात तू मेरे जेहन में फिर आई , ख्वाब टुटा, तू सामने आई.
जी चाहा न रोकूँ इन कदमों को, जो तेरे करीब ले आते हैं.
जी चाहा जकड लूँ तुझे इन गुस्ताख बाँहों में.
जी चाहा छू लूँ , लबों से, तेरे हर एक एहसास को.
जी चाहा कह दूँ तुझे, तुम हो प्रिय .

चाहूँ हर एक बयार छुए मेरे मुख को तेरे केशों से छनकर .
चाहूँ हर एक मुस्कान मेरी उभरे तेरे ही लब पर .
चाहूँ हर एक छुअन मेरी तेरा रोम-रोम अंगराए।
चाहूँ तू मेरी, बस मेरी बन रह जाए

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