Date: Completed on 21 sept 2010
Time: 13:30
कभी भूल से जो सोचो मेरे बारे में
कभी सुन लो जो मेरी ख़ामोशी को
कभी देखो जो मेरी नामौजुदगी को
तो बताना जरूर
शायद खुद से समझ न पाऊँ
कभी जो कहीं तनहा सा लगे मेरे बगैर
कभी जो कहीं दुंदो मुझे किसी महफ़िल में
कभी जो कहीं मुस्कुराओ मेरे ख्याल से
तो बताना ज़रूर
शायद खुद से समझ न पाऊँ
कभी कोई बात जो तेरे ज़हन में आये
कभी कोई तकलीफ़ जो तेरे पास आये
कभी कोई शिकवा जो हो ज़माने से
तो बताना ज़रूर
शायद खुद से समझ न पाऊँ
कभी कहीं किसी मोड़ पे ज़िन्दगी की
कभी कहीं कोई अरमान हो आये
कभी कहीं कोई आरज़ू रूठ जाए
तो बताना ज़रूर
शायद खुद से समझ न पाऊँ
कभी भूल से जो सोचो मेरे बारे में
कभी सुन लो जो मेरी ख़ामोशी को
कभी देखो जो मेरी नामौजुदगी को
तो बताना जरूर
शायद खुद से समझ न पाऊँ
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Writing after a Long Long time, Hope to have a few reads.
Tuesday, 21 September 2010
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